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Showing posts from March, 2021

लोकसंस्कृति: भारत की आत्मा

26 जनवरी याद है? सब तरफ उत्सव का माहौल होता है। हो भी क्यों ना, इसी दिन हमारे देश में अपना संविधान जो लागू हुआ था। हमने असली मायनों में आजादी पाई थी। हर साल की तरह इस साल भी टीवी पर नई दिल्ली की राष्ट्रीय परेड चल रही थी जिसमें अलग अलग राज्यों की खूबसूरत झांकियो ने शिरकत की थी।…

चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी

चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी हाँ जी ढोला, पीढ़ा लाल गुलाल तकवो तो ले ल्यूँ जी, भँवरजी, बीजलसार को जी ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी म्होरे म्होरे री कातूँ, भँवर जी, कूकड़ी जी हाँ जी ढोला, रोक रुपइये रो तार म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी ओ जी म्हारी …

गोर गोर गोमती, इसर पूजे पार्वती

गणगौर राजस्थान का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है | इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी ( इसर जी ) और पार्वती जी ( गौरी) की पूजा करती हैं | पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं | गोर गोर गोमती, इसर पूजे पार्वती …

चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी

सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण या फिर कोई भी ग्रहण हो इसे शुभ नहीं माना जाता. मुझे याद है, अगर गलती से भी कभी ग्रहण के वक्त हम बाहर चले जाते थें या फिर कुछ खा लेते थें तो मम्मी के तरफ से इनाम मिलता था : उनकी चप्पल 😂 लेकिन घरों में बैठे बैठे करते क्या? शायद इसी लिए बुजुर्गों ने ग्रहण के दौरान लो…