सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण या फिर कोई भी ग्रहण हो इसे शुभ नहीं माना जाता. मुझे याद है, अगर गलती से भी कभी ग्रहण के वक्त हम बाहर चले जाते थें या फिर कुछ खा लेते थें तो मम्मी के तरफ से इनाम मिलता था : उनकी चप्पल 😂
लेकिन घरों में बैठे बैठे करते क्या? शायद इसी लिए बुजुर्गों ने ग्रहण के दौरान लोकगीत गाना शुरू किया होगा. देश के अलग अलग इलाकों में आज भी सभी महिलाएं एक साथ बैठकर लोकगीत गाया करती हैं और सबकी सलामती की प्रार्थना करती हैं. पेश है आपके सामने चंद्रग्रहण के दौरान ब्रज भाषा में गाया जाने वाला एक ऐसा ही लोकगीत:
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी
पहले तो बिंदिया पे परेगो
बिंदिया छोड़ तेरे टीके पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
दूजे तो तेरे हरवा पे परेगो, अरे हरवा पे परेगो
फिर तो तेरी लरियां पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
दूजे तो तेरी तगड़ी पे परेगो, तेरी तगड़ी पे परेगो
तगड़ी छोड़ तेरी पेटी पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
पहले तो चूड़ियों पे परेगो, अरे चूड़ियों पे परेगो
चूड़ियां छोड़ तेरी घड़ियों पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
दूजे तो तेरी पायल पे परेगो, तेरी पायल पे परेगो
पायल छोड़ तेरे बिछियान पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
पहले तो तेरी साड़ी पे परेगो, साड़ी पे परेगो
साड़ी छोड़ तेरी शोलन पे परेगो
छत पे मत सोवे मेरी प्यारी, मत सोवे मेरी प्यारी
चंदाग्रहन परेगो मेरी प्यारी।
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