एक छोटी बच्ची बड़ी परेशान बैठी है. पास के जंगल के एक मोर की सुंदरता से मुग्ध उस लड़की का सुख-चैन-नींद सब उड़ गया है. मां और उसकी बच्ची के संवाद को दर्शाता यह हिमाचली लोकगीत...
अम्मा पुछदी सुण धिये मेरिये
धूभरी इतणी तू किया करिया होये
पारली वणीया मोर जो बोले हो
अम्माजी इन मोर निंदर गवाई हो
सड ले बन्दुकिया सड ले शिकारी जो
धिये भला एता मोर मार गिराना हो
मोर णी मारना
मोर णी गवाना हो
मोर नी मारना मोर नी गवाना
ओ अम्माजी इंड मोर पिंजरे पुवाणा हो
कुथी जांदा चन्द्रमा
कुथी जांदा तारे हो
ओ अम्माजी कुथी जांदे दिलांदे पयारे हो
हो छुप्पी जांदा चन्द्रमा
छुप्पी जांदा तारे हो
ओ धिये भला नय्ये छुप्पे दिलांदे पयारे हो
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