फाल्गुन का महीना है, होली के त्योहार ने चारों ओर धूम मचा रखी है. हरे-हरे खेतों में चारों ओर पीली सरसों फैली है. टेसू यानी पलाश के फूलों से पूरी धरती दमक रही है, जैसे सोलह शृंगार किया हो. प्रस्तुत है आपके सामने होली में गाया जाने वाला यह भोजपुरी लोकगीत, जिसमे रंगों के त्योहार के मनभावन दृश्य को दर्शाया गया है…
सखि, होली ने धूम मचाई
महिनवा फागुन का।
देखो झूम-झूम नाचे है मनवा
महिनवा फागुन का।।
हरे-हरे खेतवा में पीली-पीली सरसों
टेसू का रंग नहीं छूटेगा बरसों
आज धरती का नूतन सिंगार
महिनवा फागुन का। सखि…
अबीर-गुलाल की धूम मची है
रंगों की कैसी फुहार चली है
तन रंग गयो, हां मन रंग गयो मोरा
महिनवा फागुन का। सखि…
कान्हा के हाथ कनक पिचकारी
राधा के हाथ सोहे रंगों की थारी
होरी खेल रहे हां, होली खेल रहे
बाल-गोपालमहिनवा फागुन का। सखि…
बैर-भाव की होली जली है
गाती बजाती ये टोली चली है
सखि प्रेम-रंग हां, देखो प्रेम-रंग बरसे अंगनवा
महिनवा फागुन का। सखि…
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