यूं तो राजस्थानी धरती वीरों के त्याग, बलिदान और वीरता की कथा- कहानियों, तथा लोक गीतों से रची बसी है। इनमें से 'केसरिया बालम' अपना अलग ही स्थान रखता है। यह गीत मुख्यतया राजपूत योद्धाओं के आगमन पर उनकी रानियों द्वारा स्वागत के रूप में गया जाता था।
इस गीत के प्रेरणा के स्रोत ढोला मारू तथा राजपूती आन बान शान व त्याग बलिदान हैं।
केसरिया बालम आओ नि पधारो म्हारे देस
नि केसरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस।
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस।
मारू थारे देस में निपूजे तीन रतन-2
एक ढोलो, दूजी मारवन, तीजो कसूमल रंग।
पधारो म्हारे देस, पधारो म्हारे देस नि,
केसरिया बालम, आओ नि पधारो म्हारे देस।
केसर सू पग ला धोवती, घरे पधारो जी..
हे केसर सू पग ला धोवती, घरे पधारो जी..।
और बढ़ाई क्या करू पल पल वारू जीव
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस।
आंबा मीठी आमरी,
(आम से भी मीठी ईमली.)
चोसर मीठी छाछ.
(और सबसे मीठी छाछ)
आ..अलाप
नैना मीठी कामरी
(सुंदर आँखो वाली कामिनी)
रन मीठी तलवार।
(और युध में प्रिय तलवार..)
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आओ नि पधारो म्हारे देस
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस जी
केसरिया बालम आओ नि पधारो म्हारे देस।
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