बच्चे के जन्म लेने पर हर तरफ़ खुशी का माहौल है. और ये खुशी सिर्फ़ बच्चे के परिवार तक ही सीमित नहीं है बल्कि प्रकृति भी इसमें अपनी सक्रिय भागीदारी निभा रही है. मानो कोयल, मोर सभी और कोई नहीं बल्कि बच्चे के ही परिवार वाले हैं. वृन्दावन से लेकर, मथुरा तक बच्चे के जन्म की खुशी मनाई जा रही है. पेश है आपके सामने सोहर का यह मंगल गीत...
कंहवा पे बोलेला कोयलिया
त कहंवा पे मोर बोले हो
कंहवा पे बोलेला कोयलिया
त कहंवा पे मोर बोले हो
अरे हो कहंवा पे बोलेला सहरसवा महल उठे सोहर हो
अरे हो कहंवा पे बोलेला सहरसवा महल उठे सोहर हो
वृन्दावन में बोलेला कोयलिया
त मथुरा में मोर बोले हो
वृन्दावन में बोलेला कोयलिया त बोलेला कोयलिया
त मथुरा में मोर बोले हो
अरे हो गोकुल में बोलेला सहरसवा महल उठे सोहर हो
अरे हो गोकुल में बोलेला सहरसवा महल उठे सोहर हो
केहि गोदी जनमे ललनवा हॉं
त केहि खुसी मनवा हो
केहि गोदी जनमे ललनवा हॉं
त केहि खुसी मनवा हो
केहि घर बजेला बजनवा महल उठे सोहर हो
केहि घर बजेला बजनवा महल उठे सोहर हो
देवकी गोदी जनमे ललनवा हॉं जनमे ललनवा
त बसु खुसी मनवा हो
देवकी गोदी जनमे ललनवा
त बसु खुसी मनवा हो
अरे हो नन्द घर बजेला बजनवा महल उठे सोहर हो
अरे हो नन्द घर बजेला बजनवा महल उठे सोहर हो...
सोहर, संतान के जन्म के बाद गाया जाने वाला मंगल गीत है. संतान के जन्म से संबंधित अवसरों जैसे छठिहारी, सतैसा, सतमासा आदि में इस मंगल गीत की धुन गुनगुनाई जाती है. इन गीतों में संतान के जन्म और उसके उपरांत होने वाले उत्सवों का सुंदर वर्णन किया गया है.
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