"अरे अरे आज ख़ास दिन है. ख़ास दिन क्यों? क्योंकि अपने प्रतापी राजा दशरथ को चार चार पुत्रों की प्राप्ति हुई है. क्या मोहक नैन नक्श! लेकिन उन सब में भी एक है रानी कौशल्या के पुत्र रामलला. इतने सुन्दर, इतने मोहक की तारीफ़ करते मन ही नहीं भरता." अयोध्या में कुछ ऐसी ही चर्चा हो रही होगी जब रामलला का जन्म हुआ होगा. पेेश हैै आपके समक्ष अवधी भाषा में लिखी गई राम जन्म स्तुति जिसमें रामलला की सुंदरता का बड़ी सुंदरता के साथ वर्णन किया गया है...
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..
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