प्रस्तुत गीत विवाह के बाद विदाई के समय गाया जाने वाला गीत है. इसमें लड़की अपने पिता से पूछ रही होती है कि "आप उसे है क्यों हार आएं? क्यों उसे है घर से विदा किया जा रहा है? अपने महल, अपने बेटे, गाय भैंस को क्यों नहीं हार कर विदा कर रहे हैं?" इसपर पिता रोते हुए जवाब देता है, "वो सब मेरी लक्ष्मी है, तुम पराया धन हो" और लड़की विदा हो जाती है...
बाबा कवने नगरिया जुआ खेललऽकि
हमरा के हारि अइलऽ, हमरा के हारि हइलऽ
बेटी अवध नगरिया जुआ खेललीं तऽ
तोहरा के हारि अइलीं, तोहरा के हारि अइलीं ।
बाबा कोठिया-अँटरिया काहे ना हरलऽ
कि हमरा के हारि अइलऽ, हमरा के हारि हइलऽ
बेटी कोठिया-अँटरिया हमार लछिमी तऽ
तू हऊ पराया धन तू हऊ पराया धन ।
बाबा भैया-भउजइया काहें ना हरलऽ
कि हमरा के हारि अइलऽ, हमरा के हारि हइलऽ
बेटी पुतवा-पतोहिया हमार लछिमी तऽ
तू हऊ परायाधन-तू हऊ परायाधन ।
बाबा गइया-भँइसिया काहे न हरल कि
कि हमरा के हारि अइलऽ, हमरा के हारि हइलऽ
बेटी गइया-भँइसिया हमार लछिमी तऽ
तू हऊ पराया धन तू हऊ पराया धन ।
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