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पिताजी काहे को (बिदाई गीत)

विवाह समाज में बहुत धूमधाम से मनाई जाने वाली रीत है. खुशियों का माहौल बना रहता है. लेकिन बचपन से मां- बाप के लाड़ प्यार से पली बढ़ी लड़की के लिए अपना मायका छोड़कर ससुराल के लिए विदा होना बहुत पीड़ादायक होता है.
पेश है आपके सामने भोजपुरी में गाया जाने वाला यह गीत, जिसमें लड़की विदाई के दौरान अपने पिता से बात कर रही है...

पिताजी काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया
डळा मारै उड़ जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ
जिधर हाँको हँक जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे कमरे ईंटें,
जिधर चिणों चिण जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…

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