विकास की राह में चलती गाड़ी के नीचे सबसे ज़्यादा संख्या में जिनका जीवन आया है वो हैं आदिवासी. झारखण्ड की धरती खनिज सम्पदा से परिपूर्ण होने के कारण हमेशा से ही भारत के लिए महत्वपूर्ण रही है. इतनी भरी पूरी होने के बावजूद भी झारखण्ड राज्य का विकास आशानुरूप नहीं हुआ है. उल्टे प्राकृतिक संसाधन होना झारखण्ड के मूल निवासियों के लिए शोषण का कारण बन गया है.
भारी मात्रा में खनन होने के कारण झारखण्ड की हरी भरी धरती का बहुत बड़ा भाग उजड़ गया. कोयला राजधानी धनबाद, दुनिया के सबसे प्रदूषित स्थानों में से एक है तो दूसरी तरफ़ अपनी यूरेनियम सम्पदा के कारण जादूगोड़ा के मूल निवासियों कि ज़िन्दगी में न्यूक्लियर रीएक्शन का जो कहर बरपा है, वो किसी से छिपा नहीं है.
झारखण्ड की हरियाली बचाने और विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनो की तबाही के विरुद्ध आंदोलनों में गाया जाने वाला खोरठा भाषा का यह लोकगीत. इस गीत में गायक शोषण के विरुद्ध सभी को साथ आने के लिए कहता है...
गीत क्रांति के हमे गवएबे रहबे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
गीत क्रांति के हमे गवएबे रहबे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
झारखण्ड हामर जन्मभूमि है
जान से हो हमरा प्यारा
खनिज वनिज से भरली ये धरती
ताओ कहे जै का हारा
सोशन और अन्याय से अब हमनी लड़बे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
गीत क्रांति के हमे गवएबे रहबे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
अब नाय भूलबे, भूल भुलईये सही डहर मिल के धरबे
भाई भाई फूट बहुत है, मील मेस के दूर करबे
झारखंडी जवान के घर में जोश के भरके रहबे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
गीत क्रांति के हमे गवाएबे रहबे भाई
बहुते सहली अब सोसन नहीं सहबे भाई
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