भारतीय संस्कृति में सब कुछ बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। चाहे वो कोई त्योहार हो या कोई उत्सव का कोई विवाह व जन्म आदि से संबंधित पर्व।
विवाह की एक रस्म में ही न जाने कितनी रस्में होती हैं और उनमें प्रत्येक रस्म के अलग अलग गीत हैं। उनमें से ही एक मेहंदी गीत यह है जिसमें मेहंदी के उगने से रचने तक की प्रक्रिया का वर्णन है।
मेहँदा बोवन मैं गई कोई छोटे देवर के साथ,
मैं बोये बीघे डेढ़ सौ देवर ने बीघे चार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
मेहँदा सिचन में गई कोई छोटे देवर के साथ
मैं सींचे बीघे डेढ़ सौ देवर ने बीघे चार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
मेहँदा काटन मैं गई कोई छोटे देवर के साथ
मैं काटे बीघे डेढ़ सौ देवर न बीघे चार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
मेहँदा छानन मैं गई जी कोई छोटे देवर के साथ
मैं छाने बीघे डेढ़ सौ देवर न बीघे चार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
मेहँदा घोलन मैं गई कोई छोटे देवर के साथ
मैं घोले बीघेे डेढ़ सौ देवर न बीघे चार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
मेहँदा लगावन मैं गई जी कोई छोटे देवर के साथ
देवर रचाई छोटी आंगली भाभी नै दोनों हाथ,
देवर दिखवै माँ ए नै भाभी का पिया परदेष,
मेहँदा रंग भरा जी राज
पो पाटी पड़का हुआ कोई गई तेली के पास,
तेली बेटा तेल दे कोई आज जंगै सारी रात,
मेहँदा रंग भरा जी राज
आज बड़ी का ओसरा कोई करे सोहल सिंगार,
टग-टग महलां चढ़ गई, मेरे जबरक दिवला हाथ,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
दिवला धरा दीवार पर जी खड़ी पलंग के पास,
कहो तो साजन सोई सा कहो तो पाछी जाऊं,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
जाओ तो सुख सोई रहा रहो तौ बैरन रात,
टग-टग महलां उतरी मेरे जबरक दिवला हाथ,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
छोटी पूछै ए बड़ी कहो रात की बात
पिया पर पत्थर पड़ो सेजां में पड़ो अंगार,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
बड़ी कहवे ऐ छोटी कोई कर सोलह सिंगार,
टग-टग महलां चढ़ गई मेरा जबरक दिवला हाथ,
दिवला धरा दीवार पर खड़ी पिलंग के पास,
मेहँदा रंग भरा जी राज
कहो तो साजन सोई रहा कहो तो पाछी जाऊं
रहो तो सुख सै सोई रहा जाओ तो बैरन रात
हाथ साजन दे दिया कोई करली मन की बात
टग-टग महलां उतरी मेरा जबरक दिवला हाथ,
मेहँदा रंगे भरा जी राज
बड़ी पूछै ए छोटी कहो रात की बात,
पिया पर फुलड़े बरसो सेजां में उड़े गुलाल,
मेहँदा रंगे भरा जी राज।
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