किसान अपनी जंग लड़ रहें हैं. अब उनकी मांग जायज़ है या नहीं, इसको लेकर आपके अपने विचार है सकते हैं. लेकिन सोशल मीडिया इन किसानों के ऊपर लांछन लगाने से बाज़ नहीं आ रहा है. किसान बहुत मज़बूत होता है. वह गरीबी में मेहनत करके ज़िंदगी बिता लेगा लेकिन धोखा नहीं करेगा. शायद इसी शक्ति को पहचानते हुए भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया था. किसान और किसानियत की शक्ति को दर्शाती चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह की ये कविता...
जहाँ गिरइब पसीना तू आपन
मुसकाई तहवा गुलाब !
सागर के नीचे से मोती निकसल
अंगुरी से छु लेल चान
घेर-घर नदियन के खेतवा में
लाव गदराई बालू में घान
फौलादी हाथन के ताकत के समझ
बाटे ना एकर जबाब !
भूखवा के अगिया उदरवा में घधकत
कइसे सोहाई कुरान
गीता - रामायन के बाँच तू फिर से
मेहनत के महिमा महान
देके जिनिगियो के फिर से ना पइब
हो जाई पल जे खराब!
तब तक अमीरी-गरीबी का दुनिया में
जब तक बा पइसा के राज
चोरी-धुसखोरी-डकैती सब पैसे ला
बीके बहिनिया के लाज
जतिया - घरमवा के निसा के पाइ ना
एड़ियो उठाके शराब!
Comments
Post a Comment