सोहर , संतान के जन्म के बाद गाया जाने वाला मंगल गीत है. संतान के जन्म से संबंधित अवसरों जैसे छठिहारी, सतैसा, सतमासा आदि में इस मंगल गीत की धुन गुनगुनाई जाती है. इन गीतों में संतान के जन्म और उसके उपरांत होने वाले उत्सवों का सुंदर वर्णन किया गया है. कृष्ण जन्म और राम जन्म की कथ…
बटोहिया: वह रचना जिसे बिहार के प्रथम भोजपुरी राष्ट्रगीत होने का गौरव प्राप्त है. कहा जाता है कि भारत से दक्षिण अफ्रीका , मॉरिशस, त्रिनिदाद आदि स्थानों पर गये भोजपुरी पट्टी के मजदूरों के बीच यह गीत उस दौर में राष्ट्रगीत जैसा महत्व रखता था. जन-जागरण गीत की तरह गाया जाने वाला यह गीत पूर्वी ल…
किसान खून पसीना एक करके अनाज उगाते हैं लेकिन उसका फायदा किसे हो रहा है? एक तरफ़ किसान के घरवाले कर्ज़ और गरीबी में जी रहें है, तो दूसरी ओर उनके शोषण करने वालों की तोंद निकली जा रही है. गोरख पांडे जी इस गीत के द्वारा किसानों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि दुनिया तुम्हारी उंगलियों पर टिकी …
वसंत ऋतु दरवाज़े पर दस्तक दे रही है. वसंत ऋतु की अपनी खूबसूरती और अपना आनंद है. भंवरों का गुंजायमान हो या कोयल की कुहू- कुहू लेकिन ये सब ज़्यादा समय तक नहीं टिकता. वसंत महीनों इंतजार करने के बाद आता है लेकिन कुछ ही समय में चला जाता है. हालांकि अब शहरी क्षेत्रों में वसंत की प्र…
धरती जहां बिरसा जैसे बड़े शूरवीरों ने जन्म लिया, जहां चारों ओर हरियाली है, जहां की संस्कृति अपने आप में ही एक मधुर गीत के समान है... पेश है आपके समक्ष राजेश बाबू द्वारा लिखित यह नागपुरी गीत जो झारखंड की महान धरा का गुणगान करती है... झारखण्डक धरती-, तोर कोरा केतना महान झारखण्ड…
किसान अपनी जंग लड़ रहें हैं. अब उनकी मांग जायज़ है या नहीं, इसको लेकर आपके अपने विचार है सकते हैं. लेकिन सोशल मीडिया इन किसानों के ऊपर लांछन लगाने से बाज़ नहीं आ रहा है. किसान बहुत मज़बूत होता है. वह गरीबी में मेहनत करके ज़िंदगी बिता लेगा लेकिन धोखा नहीं करेगा. शायद इसी शक्ति को पहचानते ह…
भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी (बापू) की बीते दिन पुण्यतिथि थी. नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी जी की हत्या की थी. बापू की हत्या से पूरा देश शोकाकुल हो उठा. इसी घटना के बाद एक प्रसिद्ध नारायण सिंह के द्वारा एक भोजपुरी गीत लिखा गया, जिससे देश भर में लोगों की …
झारखंड रत्न और पद्मश्री मधु मंसूरी हँसमुख द्वारा लिखा गया यह गीत एक आवाज़ है , जो आज भी भारत में जंगलों और पहाड़ों के माध्यम से आदिवासियों , मूल या स्वदेशी निवासियों के रूप में गूँजती है. परियोजनाएँ जिनके कारण वे बड़े पैमाने पर विस्थापन का सामना कर रहे है और जो उ…
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